Saturday, December 14, 2019

हमे अपने अधिकारों की लड़ाई लड़नी होगी वरना आने वाली पीढ़ी हमे माफ नही करेगी

वर्तमान केन्द्र व राज्य की सामंतवादी सरकारें किसानों एवं कमेरा समाज को सब्जवाग दिखाकर केन्द्र व राज्यों मे खुद को स्थापित करने के लिए दलितों, पिछडों के हक एवं अधिकार वाले आरक्षण को समाप्त करने का कुचक्र रच रहे हैं। मौजूदा सामंतवादी सरकारें संविधान समीक्षा के बहाने हजारों साल पीछे वाला राजतंत्र (हिटलरशाही) लागू करना चाहते है। जिससे सम्पूर्ण कमेरा समाज पुन: सामंतवादी ताकतों का गुलाम बन जाये। आज बडे दुख के साथ कहना पड़ता है कि लोकसभा और विधानसभा में पिछड़े व दलित समाज के तमाम विधायक व सांसद होते हुए भी सम्पूर्ण कमेरा समाज के हक की कोई आवाज नही उठती, आखिर क्यों?
आईए हम सभी साथी सरदार सेना के साथ मिलकर अपने हक एवं अधिकारों के लिए आर-पार की लड़ाई लड़ें। यह लड़ाई आजादी की दूसरी लड़ाई होगी जो सच में कामेरों को एक नई ऊंचाई तक पहुंचायेगी, क्योंकि आज हम नहीं जागे तो आने वाले दिनों में हमारे बच्चों के भविष्य के लिए न तो उपयुक्त खेती होगी नही उपयुक्त नौकरी होगी तो अंजाम बहुत भयावह होगा। आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेंगी।

Wednesday, September 18, 2019

समतावादी सोच से ही होगा पिछड़ों का कायाकल्प : डॉ आर एस पटेल


आज देश में विचारधारा की लड़ाई चल रही है। इस समाज को मनुवादियों ने 4 वर्गों में बांट दिया है पहला सामान्य वर्ग, दूसरा अन्य पिछड़ा वर्ग, तीसरा अनुसूचित जाति और चौथा अनुसूचित जनजाति इसके उपरांत भी इस देश की बहुसंख्यक आबादी को हजारों जातियों में बांट दिया है। जिसके कारण हमारे ताकत को बार-बार कमजोर किया जा रहा है। जबकि इस देश में मूल रूप से 2 ही वर्ग हैं एक शोषक वर्ग और दूसरा शोषित वर्ग अथवा सवर्ण और संपूर्ण पिछड़ा वर्ग।

 इसलिए अब हम सभी को एक सूत्र में बंधकर इस मनुवादी विचारधारा के सामने समतावादी विचारधारा अर्थात सरदार वादी विचारधारा पर एकजुट होना होगा। इस कार्य हेतु अपनी जिम्मेदारी सामाजिक संगठन सरदार सेना बखूबी निभा रही है। इसके लिए संपूर्ण वंचितों को मिलकर आवाज बुलंद करनी होगी।

 पाठकों से अनुरोध है कि सामाजिक संगठनों और लेखनी के माध्यम से हमारी जिम्मेदारी है कि हम संपूर्ण कृषक पिछड़े समाज के अधिकारों के प्रति जागरूक करके आजादी की दूसरी जंग छिड़ी जाए। आइए हम सभी लोग अपने बच्चों के भविष्य के लिए एकजुट होकर आजादी की दूसरी महासंग्राम में हिस्सा लें और अपने आने वाली पीढ़ियों को संवैधानिक न्याय दिलाने का संकल्प लें। 

Friday, July 26, 2019

निजीकरण का रास्ता अपनाकर सरकार आरक्षण को निष्प्रभावी करना चाहती है : डॉ आर एस पटेल


आरक्षण पर सरकारों द्वारा जब सीधा हमला करना असंभव हो गया तो निजीकरण का रास्ता अपनाकर सरकारी नौकरियों को निजी कंपनियों को सौंप रही है। इरादा साफ है पिछड़ों के आरक्षण को खत्म करने का क्योकि निजी क्षेत्र में आरक्षण के कोई मायने नही। बड़े बड़े पूंजीपतियों तथा कुबेरपतियों के दामन में बैठी हुई राज्य को जन कल्याण से क्या।

आज वक्त की मांग हैकि हम राजर्षि छत्रपति शाहूजी महाराज से प्रेरणा लेते हुए अपने प्रतिनिधित्व की मांग करें। शाहूजी महाराज का मानना था कि आरक्षण केवल नौकरी का मामला नही बल्कि आरक्षण हमारे प्रतिनिधित्व का मामला है। वजह यही रहा कि शाहूजी महाराज अनुपातिक प्रतिनिधित्व की वकालत किया करते थे।

संवैधानिक न्याय को सुनिश्चित करने के लिए हमें कोल्हापुर नरेश राजर्षि महाराज छत्रपति शाहूजी द्वारा शुरू किए गए 26 जुलाई के इस आंदोलन को शांत नही होने देना है। इसी पर सरदार सेना का प्रदेश भर में राज्यपाल को नामित ज्ञापन दिया गया।

 इस दौरान कैंट कचहरी मार्ग वरुणापुल के पास पुलिस ने यात्रा को रोकने का भी काफी भरकस प्रयास किया लेकिन उत्साहित कार्यकर्ता अपने अधिकारों को लेकर इतने उत्तेजित रहे कि उनकी भी हिम्मत दम तोड़ती दिखी आखिर में पुलिस वालों को यात्रा का रास्ता छोड़ना ही पड़ा। बाद इसके यात्रा कचहरी मुख्यालय पहुंची जहां जनपदीय प्रतिनिधि को अपना 5 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा गया।

Wednesday, July 17, 2019

उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग और यूजीसी नेट में ओबीसी के अधिकारों की हत्या : डॉ आर एस पटेल

पिछड़ों के अधिकारों पर सरकार की मंशा साफ नहीं


वाराणसी। वर्तमान समय में पिछड़ों का आरक्षण पूर्णतया खत्म होने के कगार पर है और देश व प्रदेश के लगभग सभी नियुक्तियों में पिछड़ों की संख्या या तो शून्य है या तो कम संख्या में निकाली जा रही है और तो और परिणाम के बाद भी विभागों द्वारा सामान्य वर्ग का कट-आफ मार्क्स पिछड़े वर्ग से कम बनाया जा रहा है, आखिर क्यों? उक्त बातें सरदार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. आर. एस. पटेल ने अपने एक व्यक्तव्य में कही। उन्होंने बताया कि ज्ञापन में हमने अपने हक व अधिकारों की बात राज्यपाल महोदय को सौंपने का कार्य किया है।
   

    उन्होंने बताया कि उ. प्र. उच्चतर शिक्षा आयोग द्वारा असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण व्यवस्था का उल्लंघन करते हुए साक्षात्कार हेतु कट-आफ मार्क्स घोषित किया गया है।  क. 12 विषयों जैसे इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र, उर्दू, अंग्रेजी, राजनीतिकशास्त्र, गृह विज्ञान, समाजशास्त्र, शारीरिक शिक्षा, कृषि वनस्पति, पादप रोग, कीट विज्ञान तथा गणित में अन्य पिछड़े वर्गों का कट-आॅफ सामान्य वर्ग (अनारक्षित) से ज्यादा हैं। ख. 5 विषयों जैसे अंग्रेजी, राजनीतिकशास्त्र, समाजशास्त्र, कृषि, वनस्पति, शारीरिक शिक्षा...अनुसूचित जाति का  कट-आफ सामान्य वर्ग (अनारक्षित) से ज्यादा हैं। ग. अनुसूचित जाति व अन्य पिछड़े वर्गो के मेरिट धारी छात्रों को अनारक्षित वर्ग में शामिल न करने से आरक्षित वर्गों के हितों पर कुठाराघात हो रहा है तथा आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था का आयोग द्वारा उल्लंघन किया जा रहा है। 
           
 वहीं दूसरी तरफ यूजीसी नेट जून 2019 के जारी हुए विज्ञापित नियुक्तियों में निम्नलिखित विषयों में जैसे मनोविज्ञान, शिक्षा शास्त्र, संगीत, मैथिली, लोक प्रशासन, समाज कार्य, रक्षा शास्त्र, जनसंख्या अध्ययन, समाजशास्त्र जैसे तमाम महत्वपूर्ण विषयों में ओबीसी वर्ग का कट-आफ सामान्य वर्ग (आर्थिक रूप से गरीब सवर्ण) के कट-आफ से ज्यादा बनाई गयी है, आखिर क्यों? 
    सरदार सेना ने ज्ञापन में राज्यपाल महोदय से अनुरोध किया कि सरकार के संवैधानिक संस्थाओं द्वारा किये जा रहे आरक्षण व्यवस्था के उल्लंघन के कुप्रयासों को तत्काल रोका जाय तथा संशोधित रिजल्ट घोषित करके पिछड़ों को न्याय देने की तरफ ध्यान दिया जाय। अन्यथा की स्थिति में सरदार सेना सामाजिक संगठन के हजारों कार्यकर्ता 23 जुलाई के बाद सड़कों पर उतरकर आरक्षित वर्ग के न्याय हेतु आन्दोलन को बाध्य होंगे। आन्दोलन के दौरान प्रदेश में किसी भी प्रकार की हानि होगी तो उसकी सारी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश सरकार की होगी।

Monday, July 8, 2019

मूवी आर्टिकल-15 पर ब्राह्मण महासभा के आँखों में मिर्ची क्यों :- डॉ आर एस पटेल

फिल्म के संरक्षण में आई सरदार सेना, प्रेस कांफ्रेस में बोले राष्ट्रीय अध्यक्ष 

वाराणसी। संविधान के अनुच्छेद 15  जिसमें शोषित वंचित दलित व पिछड़े के साथ वर्षो पहले जो भेदभाव हुआ और होता चला आ रहा है उसको फिल्म के माध्यम से लोंगो तक पहुंचाने का जो सराहनीय कार्य निर्देशक अनुभव सिन्हा ने किया है उसके लिए सरदार सेना परिवार उनका आभार प्रकट करता है यह बाते पत्रकारों से मुखातिब होते हुए सरदार सेना प्रमुख ने कही। बतादें कि एक तरफ ब्राम्हण महासभा है जिसके आँखों में यह फिल्म मिर्च की भांति लग रही है। मामला यह है की पूरी फिल्म ने ब्राम्हणों, सामंतवादियों द्वारा सदियों से जो अन्याय पिछड़े शोषितो वंचितों पर किया गया उसको सबके सामने लाकर रख दिया इस।

 ब्राह्मण महासभा व् करणी सेना लगातार इस फिल्म का विरोध कर रही है कई शहरों में इन्होने इस फिल्म को सिनेमा घरों में चलने नहीं दिया यहाँ तक की युवा ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय संयोजक अमन मयंक शर्मा ने कहा है कि फिल्म आर्टिकिल-15 में न सिर्फ ब्राह्मणों की छवि धूमिल की गई है। बल्कि ब्राह्मणों को इससे ठेस पहुंची है। जो भी व्यक्ति फिल्म निर्माता अनुभव सिन्हा की जीभ काटकर लाएगा उसे सात लाख रुपये का इनाम देंगे। इन सबपर भी सरकार की तरफ से कोई ठोस कदम फिल्म के संरक्षण में नहीं उठाये गए।

 यह सब देखते हुए फिल्म के संरक्षण में सरदार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ आर एस पटेल जी ने प्रेस कांफ्रेस कर फिल्म को समाज में  सामाजिक समरसता लाने वाली फिल्म बताई और उन्होंने कहा की इस फिल्म में पूरी तरह से यह दर्शाया गया है कि किस प्रकार वर्षो से ब्राम्हणों ने दलित वंचित समाज के अधिकारों का हनन करते आये है यह फिल्म बिलकुल ही सही है और अगर इस फिल्म को लेकर किसी ने भी किसी प्रकार का उत्पात किया उसके खिलाफ सरकार को कड़ी कार्यवाई करनी होगी नहीं तो सरदार सेना के सिपाही उपद्रवियों से उन्ही के भाषा में उन्हें जमकर जवाब देगी और इस दौरान जो भी छति होगी उसकी सारी जिम्मेदारी यूपी सरकार की होगी।

आजादी के 72 साल बाद भी आज तक पुरे देश में भेदभाव पूर्ण रवैया इन्ही लोंगो के कारण हो रहा है। आगे उन्होंने यह  भी कहा की इसी तरह हर अनुच्छेद पर फिल्म बनानी चाहिए जिससे हमारे समाज के लोंगो को उनके अधिकारों का हनन किस तरह किया जा रहा है यह सबके सामने आ जायेगा। साथ ही बनारस में शांतिपूर्ण तरीके से फिल्म के चलाये जाने पर उन्होंने बनारस के वरिष्ठ अधिकारीयों की सराहना भी की। 

Saturday, June 29, 2019

नाम के चौकीदार और काम के चौकीदार


काम के चौकीदार जो सुबह तैयार होकर तय समय से पहले ही ड्यूटी पर पहुँच जाता है ओ इस लिए की कही मालिक नाराज न हो जाये और सुबह से लेकर शाम तक लगभग 8-10 घंटे रोज तीस दिन तक बराबर ड्यूटी करता है तब जाकर उसको 8-10 रूपये वेतन के रूप में मिलता है और उसी से अपने घर के बच्चों की बढ़ाई घर का राशन जैसे अपने सारे जरूरतों को पूरा करता है।
नाम के चौकीदार जिनके सोकर उठने कोई समय ही नहीं रहता और ड्यूटी का भी कोई समय सीमा निर्धारित नहीं रहती और वेतन तो उतने जितने 5-6 काम के चौकीदार कार्य कर सकते है और उनकी सारी जरूरते तो सरकार पूरी करती है किसी चीज से इनको फर्क नहीं पड़ती।






आइए जानते हैं सांसदों को कितना वेतन और भत्ता मिलता है

1.  लोकसभा और राज्यसभा के सांसद कार्यकाल के दौरान 50 हजार रुपये का वेतन मिलता है.
2.  अगर सांसद की कार्यवाही के दौरान उसमें शामिल होते हैं, और रजिस्टर में हस्ताक्षर करते हैं तो उन्हें 2000 रुपये हर रोज का भत्ता मिलता है.
एक सांसद अपने क्षेत्र में कार्य कराने के लिए 45000 रुपये प्रतिमाह भत्ता पाने का हकदार होता है.
3.  कार्यालयीन खर्चों के लिए एक सांसद को 45000 रुपये प्रतिमाह मिलता है. इसमें से वह 15 हजार रुपये स्टेशनरी पर खर्च कर सकता है. इसके अलावा अपने सहायक रखने पर सांसद 30 हजार रुपये खर्च कर सकता है.
4.  सांसद निधि (मेंबर ऑफ पार्लियामेंट लोकल एरिया डेवलपमेंट) स्कीम के तहत सांसद अपने क्षेत्र में 5 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष का खर्च करने की सिफारिश कर सकता है.
5.  सांसदों को हर तीन महीने में 50 हजार रुपये यानी करीब 600 रुपये रोज घर के कपड़े धुलवाने के लिए मिलते हैं.
6.  सांसदोंको हवाई यात्रा का 25 प्रतिशत ही देना पड़ता है. इस छूट के साथ एक सांसद सालभर में 34 हवाई यात्राएं कर सकता है. यह सुविधा पति/पत्नी दोनों के लिए है.
7.  ट्रेन में सांसद फर्स्ट क्लास एसी में अहस्तांतरणीय टिकट पर यात्रा कर सकता है. उन्हें एक विशेष पास दिया जाता है.
8.  एक सांसद को सड़क मार्ग से यात्रा करने पर 16 रुपये प्रतिकिलोमीटर यात्रा भत्ता मिलता है.

Thursday, April 18, 2019

हम समय के तरासे हुए व्यक्तित्व हैं

                                   
                                            मैं डॉ आर एस पटेल संयोजक सरदार सेना  उत्तर प्रदेश के वाराणसी जनपद के छोटे से गांव के किसान के बेटा हूँ। मैंने देखा देश जिनकी वजह से एक हो सका जिनके कारण अखंड भारत का निर्माण संभव हुआ ऐसे महापुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के वंशज अब तक अशिक्षा गरीबी और अवसरहीनता से मुक्त नहीं हो सका पूरे देश में सिर्फ विकास की बात होती रही पर हम जिस हाल में थे यह सच्चाई कोई नहीं बतलाता तब मुझे यह चाह हुई की हमें समाज को स्थापित करना होगा।

 मैं खुद पेशेवर डॉक्टर जो दिन में 400 से 500 मरीजों को देखता चाहता तो मैं अपना जीवन अच्छे से यापन कर सकता था मुझे किसी चीज की तनिक भी कमी नहीं लेकिन समाज में देखने के बाद जो दर्द दिल में जगा मुझे लगा ऐसे बदलाव नहीं हो सकता इसलिए समाज नीति को चुना और अपने समाज को जगाने का शपथ लिया और लगातार अपने समाज के बीच जाकर सरदार वादी विचारधारा को पहुंचाने का निर्णय लिया लेकिन कुछ अराजक लोग जो मेरी कम उम्र और अनुभवहीनता पर लगातार सवाल उठाते रहे मगर कोई भी सब सीख कर नहीं आता ऐसा कहा जाता है.

 परिस्थितियां सब सिखा देती हैं और हम समय के तरासे हुए व्यक्तित्व हैं हमें इनका कोई फर्क नहीं पड़ता हमें समाज ने जो अवसर दिया है. उसको हमने समाज के लिए न्योछावर कर दिया है अब बस एक ही लक्ष्य है हमारा कि समाज देश में स्थापित हो इसके लिए जो कुछ करना होगा हमें स्वीकार्य है।


Monday, April 15, 2019

आजमगढ़ में बैकवर्ड आरक्षण बढ़ाओ जनान्दोलन की बैठक सम्पन्न,


धूमधाम से मनाई गई महामानव बहुजनो के शिक्षा के अग्रदूत,ज्योतिराव फूले एवं संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी की जयंती।
गूंजा "27न बटनें देंगे--57अब लेकर रहेंगे"
"अब नही सहेंगे अत्याचार--लेकर रहेंगे अपना अधिकार"


आजमगढ़। आज जनपद के रोहुआर स्थित छत्रपति शिवाजी इंटर कॉलेज के प्रांगण में सरदार सेना द्वारा आयोजित बैकवर्ड आरक्षण बढ़ाओ जन आंदोलन की बैठक अनिरुद्ध पटेल तथा विद्यासागर पटेल व मनोज पटेल के नेतृत्व में संपन्न हुई। इस बैठक में आजमगढ़ के कई ब्लॉकों से क्रांतिकारी सामाजिक नेता मौजूद रहे।
इस अवसर पर सब ने संकल्प लिया कि अपने आरक्षण की लड़ाई के लिए हम सभी तन मन धन लगा कर लड़ेंगे और जीतेंगे साथ ही सभी ने यह संकल्प लिया कि बीजेपी और उसके सहयोगियों को हम ना वोट देंगे न दिलाएंगे ।
इस अवसर पर आए हुए सैकड़ों की तादात में क्रांतिकारियों का सरदार सेना परिवार आभार व्यक्त करता है।


Sunday, March 17, 2019

सरदार सेना की मासिक समीक्षा बैठक संपन्न

सरदार सेना की मासिक समीक्षा बैठक संपन्न, लिया कई अहम निर्णय,भाजपा व सहयोग दलों को वोट न देने का सर्वसम्मति से हुआ निर्णय...!
लखनऊ.... सरदार सेना सामाजिक संगठन का रविवार को मासिक समीक्षा बैठक प्रदेश के राजधानी लखनऊ में सम्पन्न हुआ। बैठक में प्रदेश भर के प्रमुख पदाधिकारी मौजूद रहे। इस दौरान पदाधिकारियों के पिछले माह के कार्यों की समीक्षा लेते हुए कई अहम निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया जिसके कुछ अंश निम्नवत हैं।



1)लोकसभा चुनाव में किसी भी दल या निर्दल में ब्राह्मण प्रत्याशी को सरदार सेना के लाखों कार्यकर्ता वोट नहीं करेंगे।
2)RSS द्वारा संचालित भाजपा व उनके गठबंधन के किसी भी प्रत्याशी को वोट नहीं करेंगे क्योंकि बीते 5 वर्षों में भाजपा सरकार ने हर जगह ओबीसी के अधिकारों पर कुठाराघात घात किया है।
3)बीजेपी या उसके गठबंधन के प्रत्याशियों को छोड़कर किसी भी दल या निर्दल के ओबीसी,एससी,एसटी व माइनॉरिटी के वह प्रत्याशी जो सदन में जाकर ओबीसी के संपूर्ण अधिकारों की लड़ाई लड़ने का काम करेंगा,हम उनको समर्थन देकर अपने लाखो सदस्यों द्वारा वोट दिलवाकर सदन में भेजने का काम करेंगे लेकिन उपरोक्त मुद्दों पर प्रत्याशी महोदय को संकल्प पत्र भरना होगा।


इस बैठक में सरदार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ आर एस पटेल ने अपने समस्त कार्यकर्ताओं को यह भी निर्देशित किया कि उपरोक्त बातों के लिए ओबोसी समाज के करोड़ों साथियों के बीच जल्द से जल्द जन जन जागृत करके समझया जाय।
बैठक में अपने पदाधिकारियों का मनोबल ऊंचा करते हुए कहा कि आप सभी ने पिछले दिनों में 13 पाइंट रोस्टर एवं लेखपाल भर्ती आदि को लेकर जो जनांदोलन किया उससे सरकार को यूटर्न लेना पड़ा और आपकी बात को मानना पड़ा जिसके लिए हम आप सभी का आभार व्यक्त करते हैं साथ ही आप सभी के सहयोग से सरदार सेना सामाजिक संगठन का तेजी से विस्तार हुआ है। इस संगठन के विस्तार हेतु हमे आगे भी निरन्तर संघर्ष करना होगा। ताकि हम अपने हक व अधिकारों से वंचित न रह सकें और सही मायने में समाज को न्याय दिलाया जा सके।

Tuesday, March 12, 2019

'भाई साहब, पुलिस को थोड़ा टाइम तो दोगे, कि नहीं?'


उत्तर प्रदेश
बुलंदशहर में रविवार को चार लोगों ने चलती हुई कार में एक नाबालिग लड़की के साथ रेप किया.15 साल की पीड़िता अभी अस्पताल में भर्ती है अभी तक किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हुई है.

जब पुलिस से पूछा गया कि घटना के 48 घंटे बाद भी आरोपियों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया, तो एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से पूछा गया तो वे बोलते है 'भाई साहब, पुलिस को थोड़ा टाइम तो दोगे, कि नहीं?'

ये है हमरे देश में बेटियों की सुरक्षा न्याय कहा है साहब न्याय मांगते मांगते तो लोंगो को कइयों जनम लेने पड़ेंगे

Monday, February 11, 2019

लौह पुरुष वल्ल्भ भाई पटेल को सरदार की उपाधि



बारदोली सत्याग्रह गुजरात के सूरत जिले में किसानों द्वारा 4 फरवरी 1928 ई. में 'लगान न देने' के लिए किया गया। इसका नेतृत्व "सरदार वल्लभ भाई पटेल" द्वारा किया गया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नरमपंथी नेताओं ने इस अहिंसक आन्दोलन का समर्थन 'सर्वेन्ट ऑफ इण्डिया सोसायटी' के माध्यम से किया। इस आंदोलन में महिलाओं ने भी बड़े उत्साह से भाग लिया। जिसमें कस्तूरबा गांधी, मीठू बेन, भक्तिबा, मनीबेन पटेल, शरदाबेन शाह और शारदा मेहता का नाम प्रमुख है। कापिलराज नामक जनजाति के लोगों ने भी इस आन्दोलन में सहयोग दिया। क्योंकि किसानों की जमीन यही लोग जोता करते थे। लगान वृद्धि का प्रभाव इन पर भी पड़ रहा था। सरकार ने इस सत्याग्रह को कुचलने के लिए कठोर कदम उठाये किन्तु जनमत से बाध्य होकर उसे किसानों के आगे झुकना पड़ा। अन्ततः सरकार ने एक न्यायिक अधिकारी 'ब्लूमफील्ड' तथा एक राजस्व अधिकारी 'मैक्सवेल' से सम्पूर्ण मामले की जाँच करायी। जाँच में 22% (जो प्रारम्भ में 30% थी)  लगान वृद्धि को अनुचित बताया गया। अतः सरकार को लगान वृद्धि को घटाकर 6.03% करना पड़ा। यह आन्दोलन पूरी तरह अहिंसक और सफल रहा। बारदोली सत्याग्रह के सफल होने के बाद बारदोली की महिलाओं की तरफ से गांधी जी ने वल्लभ भाई पटेल को "सरदार" की उपाधि प्रदान की।

बारदोली सत्याग्रह क्यों हुआ







    बारदोली आन्दोलन का मुख्य कारण सरकार द्वारा की गयी लगान में 22% (जो प्रारम्भ में 30% थी) की वृद्धि था। जिसका विरोध किसानों ने किया और किसान समिति के सदस्य और स्थानीय नेता वल्लभ भाई पटेल को बारदोली आने का आमंत्रण दिया। 4 फरवरी 1928 को वल्लभ भाई पटेल ने इस किसान आन्दोलन का नेतृत्व संभाला और इसे 'बारदोली सत्याग्रह' नाम दिया। 'हाली पद्धति' के शिकार लोगों ने भी इस आन्दोलन में सहयोग किया। क्योंकि बारदोली के किसानों की जमीन यही लोग बटाई पर जोता करते थे। अतः लगान वृद्धि का उनकी आमदनी पर भी प्रभाव पड़ रहा था। 'हाली पद्धति' एक प्रकार की "बन्धुआ मजदूरी" थी। जिसे कापिलराज नामक जनजाति के लोग करने के लिए विवश थे। इन्हें 'दुबला आदिवासी' भी कहा जाता था।

बारदोली आन्दोलन की पृष्ठभूमि

    बारदोली क्षेत्र के 137 गांवों के लगभग 87 हजार किसान 1908 ई. में मेहता बन्धुओं (कुँवरजी मेहता तथा कल्याणजी मेहता) के नेतृत्व में संगठित होने लगे थे। इस संगठन ने पाटीदार युवक मंडल तथा पटेल बन्धु नामक पत्रिकाओं का प्रकाशन भी किया। जब वर्ष 1926 ई. में सरकार ने लगान की दर 30% बढ़ा दी। तो किसानों ने इसका जबरदस्त विरोध किया और लगान में कमी करने हेतु 1927 ई. में भीम भाई नाइक तथा शिवदासानी के नेतृत्व एक प्रतिनिधि मण्डल बम्बई के राजस्व विभाग के प्रमुख से मिलने भेजा। इस मण्डल के प्रयासों से सरकार ने जुलाई 1927 ई. में लगान वृद्धि को 30% से घटाकर 22% कर दिया। किन्तु किसान इससे सन्तुष्ट नहीं हुए और विरोध जारी रखने का फैसला लिया। उन्होंने वल्लभ भाई पटेल जो खेड़ा सत्याग्रह, नागपुर फ्लैग मार्च सत्याग्रह और बलखाड़ सत्याग्रह के कारण लोगों के बीच लोकप्रिय हो चले थे, इस आन्दोलन का नेतृत्व करने के लिए आमंत्रित किया। 4 फरवरी 1928 ई. में पटेल ने इस आन्दोलन का नेतृत्व संभाला और 'बारदोली सत्याग्रह' नाम दिया।

कापिलराज और हाली पद्धति

    कापिलराज एक जनजाति थी। जो अपने जीवन पोषण के लिए बारदोली में कुनबी पाटीदारों (किसानों) के यहां खेती करने के लिए विवश थी। यह एक प्रकार की 'बन्धुआ मजदूरी' थी। जिसे "हाली पद्धति" कहा जाता था। उनकी स्थिति अत्यंत दयनीय थी। इनकी आबादी बारदोली तालुका में 60% थी। स्थानीय नेता कल्याणजी मेहता, कुँवरजी मेहता, दयालजी देशाई, केशवजी आदि द्वारा इनमें चेतना जगाने का प्रयास किया गया। कुंवरजी मेहता तथा केशवजी ने शिक्षित कापिलराज के लोगों की सहायता से "कापिलराज साहित्य" का सृजन किया और हाली पद्धति के खिलाफ आवाज उठायी। 1922 के बाद यहाँ इस जनजाति के उत्थान के लिए प्रत्येक वर्ष कापिलराज सम्मेलन का आयोजन प्रारम्भ किया। 1927 के कापिलराज सम्मेलन की अध्यक्षता गाँधी जी ने की थी। इसी सम्मेलन में गांधी जी ने कापिलराज का नाम बदलकर रानीपराज (बनवासी) रखा। प्रसिद्ध नेता नरहरि पारीख तथा जगतराम दवे ने हाली पद्धति के अमानवीय चहरों को सामने रखा तथा इसे समाप्त करने के लिए बारदोली सत्याग्रह में आवाज उठायी।

Sunday, February 10, 2019

सरदार सेना का बैकवर्ड आरक्षण बढ़ाओ जनआंदोलन पुलिसया नोक झोंक के बीच हुआ संपन्न, उमड़ा जनसैलाब









वाराणसी।  जनपद के पटेल तालाब कोरोता से हजारों बाइक, सैकड़ों चार पहिया के साथ हजारों ओबीसी साथियों के साथ पैदल जुलूस बढ़ते हुए लगभग 19 किलोमीटर चलकर मुख्यालय पहुंचकर डीएम के प्रतिनिधि एसडीएम को ज्ञापन सौंपा गया।
बताते चलें कि सरदार सेना सामाजिक संगठन बैकवर्ड आरक्षण बढ़ाओ जन आंदोलन "27न बटनें देंगे --57 अब लेके रहेंगे" के साथ ही 13 पॉइंट रोस्टर के खिलाफ बस्ती अंबेडकरनगर कानपुर के बाद आज वाराणसी के सड़को पर महाआंदोलन छेड़ दिया।पीएम का संसदिय क्षेत्र पूरी तरह जाम हो चुका था । इस बीच कई जगह प्रशासन के लोगों ने नोकझोंक करते हुए आंदोलन को रोकने का प्रायस किया । हद तो तब हो गई जब ज्ञापन सौंपने के लिए हम हजारों साथी इंतजार करते रहे, डीएम के ना आने पर मजबूरन हमें कचहरी मुख्य मार्ग को जाम करना पड़ा तदुपरांत सक्षम अधिकारी आए।तब 13 प्वाइंट रोस्टर और बैकवर्ड आरक्षण विभाजन के मुद्दे को लेकर महामहिम राष्ट्रपति एवं महामहिम राज्यपाल को नामित ज्ञापन सौंपा गया ।
साथियों यह बता देना जरूरी है की अभी तो यह शुरुआत है अभी महाआंदोलन बाकी है संपूर्ण बैकवर्ड का अधिकार सामन्तवादियों से हम छीन कर आप लोगों की झोली में डालने को तैयार हैं ।
इस आंदोलन में आए हुए हजारों क्रांतिकारी साथियों को मैं तहे दिल से आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापित करता हूं।

Wednesday, January 30, 2019

आरक्षण हमार अधिकार है किसी के बाप की जागीर नहीं

             
आप सभी अवगत हो कि केन्द्र व राज्य सरकार की पिछड़ा व दलित विरोधी नीतियों के खिलाफ सरदार सेना सामाजिक संगठन लगातार संघर्षरत है। आप सभी जानते है कि भारत में ओबीसी वर्ग की सम्पूर्ण आबादी लगभग  57 या 60 प्रतिशत से ज्यादा है जिसके बावजूद बड़े संघर्षों के बाद इस वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण ही प्राप्त हुआ। लेकिन योगी सरकार द्वारा हाल ही में पिछड़े वर्ग के 27 प्रतिशत आरक्षण को भी विभाजित करके पिछड़े वर्ग को आरक्षण विहीन करने एवं आपस में लड़ाने हेतु बड़ा भयानक कुचक्र रचा गया है। जबकि हमारे ही दलित भाईयों को आबादी के अनुसार शुरू से ही 22.5% आरक्षण प्रभावी रूप से लागू है।  वहीं दूसरी तरफ बीते  09 जनवरी 2019 को मोदी सरकार द्वारा सवर्ण समाज हेतु जिनकी कुल आबादी लगभग 15% ही होने पर भी इन्हें10% आर्थिक आधार पर आरक्षण दे दिया गया जबकि सवर्ण समाज पहले से ही सामाजिक, शैक्षणिक व आर्थिक रूप से सम्पन्न है।  अत: मोदी सरकार द्वारा आर्थिक आधार पर आरक्षण का फार्मूला पूर्णतया अनैतिक एवं असंवैधानिक है।  ऐसा करके मोदी सरकार द्वारा संविधान में फेरबदल करने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है ऐसा करके मोदी ने देश के सम्पूर्ण पिछड़े समाज को और गहरे खाई में धकेलने का कार्य किया है।
               अत: अब पिछड़े समाज के लोंगो से गुजारिश है कि हमें मिलकर 27 नहीं बल्कि 57% से ज्यादा अपने आरक्षण  को बढ़ाने के लिए लड़ाई लड़नी होगी, नहीं तो हमारी आने वाली पीढ़ियां किसी भी संवैधानिक पदों पर स्थापित नहीं हो पायेगी और यदि हम इसी तरह हाथ पर हाथ धरे तमाशबीन बने रहे तो पुन: हम गुलामी की जंजीरों में जकड़ने को विवश होंगे। जिसके कारण निकट भविष्य में हमारी पीढ़ियां आत्महत्या करने पर मजबूर होंगी और हमें कदापि माफ नहीं करेगी। इसलिए आईये हम अपने बच्चों को अपने आबादी के अनुसार सरकारी,अर्द्धसरकारी अर्थात् संविदा जैसी निम्न से लेकर शीर्ष स्तर तक सम्पूर्ण नौकरियों तथा व्यवस्थाओं में स्थापित करने हेतु आजादी की दूसरी लड़ाई लड़कर अपने पीढ़ियों को संवैधानिक न्याय दिलाने का कार्य करें।
         बताते चले कि भाजपा सरकार ने लगभग अपने पांच वर्षों के कार्यकाल में हमारे अधिकारों पर लगातार कुठाराघात किया है, जिसके कुछ अंश निम्नवत् दिये जा रहे हैं-
1. 27 जून 2018 को उ. प्र. परिवहन निगम में कुल 127 पदों पर परिचालकों की भर्ती हुई, जिसमें 100 पदों पर सवर्ण वर्ग तथा 27 पद पर दलित वर्ग के लिए आरक्षित किया गया जिसमें ओबीसी आरक्षण को पूरी तरह समाप्त कर दिया गया।
2. केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में विभागवार विखंडन कर नवीन रोस्टर प्रणाली लागू कर आरक्षण को पूर्ण रूप से निष्प्रभावी कर दिया गया।
3. केन्द्र सरकार के गलत नीतियों के कारण बीते वर्ष में ओबीसी के 9 हजार नीट में उत्तीर्ण बच्चों को मेडिकल में दाखिला लेने से रोक दिया गया।
4. बीते वर्ष में सिविल सर्विसेस में उत्तीर्ण 314 ओबीसी के बच्चों को क्रीमिलेयर लगाकर आईएएस अधिकारी बनने से रोक दिया गया।
5. सप्रीम कोर्ट के एक निर्णय के अनुसार केन्द्र सरकार ने असंवैधानिक तरीके से आरक्षित वर्गों के बच्चों को चाहे वह ओपेन कटेगरी के अनुसार टॉपर ही क्यों न रहा हो आगे बढ़ने से रोक दिया अर्थात् 85% आबादी वाले आरक्षित समाज को 49.5% के अन्दर सीमित करके 15% सवर्णों को 50.5% नौकरियों में कब्जा जमाने अर्थात् नंगा नाच करने की खुली छूट दे दिया।
6. बीते वर्ष गोरखपुर विश्वविद्यालय में विज्ञापित तमाम पदों पर 90 % से ज्यादा सवर्णों को स्थान दिया गया। इसी तरह देश भर के तमाम विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर, असिस्टेन्ट प्रोफेसर सहित तमाम पदों पर ओबीसी को जगह न देकर जातिवाद का नंगा नाच किया गया।
7. आंकड़ों के अनुसार केन्द्रीय मंत्रालयों में अवर सचिव/सचिव व निदेशक स्तर के 747 अफसरों में मात्र 17 अफसर ओबीसी समुदाय के हैं। इसी तरह हजारों उदाहरण है जहां ओबीसी वर्ग का प्रतिनिधित्व लगभग शून्य जैसा हो चुका है।
             साथियों अब हम पिछड़े वर्ग को अपने आबादी के अनुसार सम्पूर्ण अधिकार दिलाने हेतु आजादी की दूसरी लड़ाई लड़नी पड़ेगी नहीं तो हमारी आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेगी। इसलिए आईये इस महाआंदोलन में सहभागी बनकर अपने आने वाली पीढ़ियों को सम्पूर्ण अधिकार दिलाने हेतु लड़ाई लड़े।

Monday, January 7, 2019

बौद्धिक साथियों के साथ आरक्षण पर हुआ गहन चिंतन

वाराणसी  

आज जनपद के बड़ागांव ब्लाक अंतर्गत असवारी गांव में सरदार सेना के ब्लॉक आईटी प्रभारी पिंटू पटेल के नेतृत्व में बैठक संपन्न हुई । बैठक का संचालन सरदार सेना बौद्धिक संघ के ब्लॉक अध्यक्ष भरत प्रजापति ने किया । इस अवसर पर सैकड़ों वकील व अध्यापक साथियों ने खुलकर चर्चा किया एवं सभी ने संकल्प लिया कि अब हम पिछड़े वर्ग के लोग अपने आरक्षण को बटने नहीं देंगे बल्कि अपनी आबादी के अनुसार 57%आरक्षण लेकर रहेंगे इसके लिए सड़क पर उतर कर हम सभी लोग आंदोलन करेंगे ।




इस अवसर पर बड़ागांव ब्लॉक अध्यक्ष अवधेश रेड्डी, भरत प्रजापति, राजेश गुप्ता, रोशन पटेल ,पिंटू पटेल, प्रमोद पटेल, दिलीप प्रजापति, संदीप प्रजापति,राधेश्याम प्रजापति, सुधीर पटेल बृजेश मनोज सहित दर्जनों साथी उपस्थित रहे।

Thursday, January 3, 2019

सरदार सेना की मासिक समिक्षा बैठक सम्पन्न


वाराणसी। अपने एक साल मे किये गये कार्यों एवं सभी ब्लॉकों की समिक्षा के लिए सरदार सेना जिला इकाई वाराणसी के केन्द्रीय कार्यालय पर बैठक बुलाई गयी। इस दौरान जनवरी 2018 से लेकर दिसम्बर 2018 तक के संगठन द्वारा किये गये सभी कार्यों की समीक्षा की गयी। यह जानकारी बैठक की अध्यक्षता कर रहे सरदार सेना युवा जिलाध्यक्ष आशोक कुमार पटेल ने पत्रकारवार्ता के दौरान दी। 

उन्होंने बताया कि जिस प्रकार सरदार सेना अपने अटल इरादों के साथ पिछले वर्ष सरदार पटेल के विचारों पर कार्य कर रही थी और आगे भी सरदार पटेल के विचारधारा पर ही कार्यरत रही रहेगी। वहीं बैठक में मुख्य रूप से सरदार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. आर. एस. पटेल भी उपस्थित रहे। उन्होंने सभी पदाधिकारियों को नूतन वर्ष 2019 की शुभकामनाएं देते हुये आगे की रणनितियों पर गहन चर्चा किया साथ हीं आगामी कार्यक्रमों को लेकर सभी क्रांतिकारी पदाधिकारियों को उनकी जिम्मेदारीयों से अवगत कराया।

बैठक में मुख्य रूप से प्रदेश महासचिव सुरेश वर्मा, कार्यालय प्रभारी सुधीर सिंह पटेल, बड़ागांव ब्लॉक अध्यक्ष अवधेश कुमार रेड्डी, अरविन्द कुमार जिला उपाध्यक्ष, धर्मदास पटेल जिला सचिव, डॉ. आरके वर्मा जिला महासचिव, राजकुमार पटेल जिला अध्यक्ष किसान मोर्चा, सुरेश पटेल, प्रदीप पटेल, पवन कुमार, भरत लाल प्रजापति, मुन्ना लाल , रामजी पटेल, शितला पटेल, रणविजय पटेल, रवि पटेल, अमन वर्मा, विशाल कुमार, अशोक कुमार, राजकुमार पटेल, दिनेश कुमार, सहित कई ब्लॉकों के पदाधिकारी मौजूद रहे।



Wednesday, January 2, 2019

सरदार सेना वार्षिकोत्सव में जमकर झूमे सरदारवादी

वाराणसी। सरदार सेना के एक वर्ष पूरे हो जाने पर जनपद स्थित तेलियाबाग सरदार वल्लभ भाई पटेल धर्मशाला में एक कर्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें प्रदेश के सभी जिलों से क्रांतिकारी सरदारवादियों का महा जुटान लगा रहा। इस दौरान सरदार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ आर एस पटेल ने सरदार विजन पत्रिका का भी विमोचन किया। आयोजन में गुजरात सेना आये अनामत आंदोलन में मुख्य भूमिका निभाने वाले जतिन भाई पटेल ने सरदारवादियों को एक अच्छे  कैडर के गुर सिखाए। सभी ने यह सपत लिया कि अब हम सरदार के सपनो का भारत बना के रहेंगे।