Wednesday, July 17, 2019

उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग और यूजीसी नेट में ओबीसी के अधिकारों की हत्या : डॉ आर एस पटेल

पिछड़ों के अधिकारों पर सरकार की मंशा साफ नहीं


वाराणसी। वर्तमान समय में पिछड़ों का आरक्षण पूर्णतया खत्म होने के कगार पर है और देश व प्रदेश के लगभग सभी नियुक्तियों में पिछड़ों की संख्या या तो शून्य है या तो कम संख्या में निकाली जा रही है और तो और परिणाम के बाद भी विभागों द्वारा सामान्य वर्ग का कट-आफ मार्क्स पिछड़े वर्ग से कम बनाया जा रहा है, आखिर क्यों? उक्त बातें सरदार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. आर. एस. पटेल ने अपने एक व्यक्तव्य में कही। उन्होंने बताया कि ज्ञापन में हमने अपने हक व अधिकारों की बात राज्यपाल महोदय को सौंपने का कार्य किया है।
   

    उन्होंने बताया कि उ. प्र. उच्चतर शिक्षा आयोग द्वारा असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण व्यवस्था का उल्लंघन करते हुए साक्षात्कार हेतु कट-आफ मार्क्स घोषित किया गया है।  क. 12 विषयों जैसे इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र, उर्दू, अंग्रेजी, राजनीतिकशास्त्र, गृह विज्ञान, समाजशास्त्र, शारीरिक शिक्षा, कृषि वनस्पति, पादप रोग, कीट विज्ञान तथा गणित में अन्य पिछड़े वर्गों का कट-आॅफ सामान्य वर्ग (अनारक्षित) से ज्यादा हैं। ख. 5 विषयों जैसे अंग्रेजी, राजनीतिकशास्त्र, समाजशास्त्र, कृषि, वनस्पति, शारीरिक शिक्षा...अनुसूचित जाति का  कट-आफ सामान्य वर्ग (अनारक्षित) से ज्यादा हैं। ग. अनुसूचित जाति व अन्य पिछड़े वर्गो के मेरिट धारी छात्रों को अनारक्षित वर्ग में शामिल न करने से आरक्षित वर्गों के हितों पर कुठाराघात हो रहा है तथा आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था का आयोग द्वारा उल्लंघन किया जा रहा है। 
           
 वहीं दूसरी तरफ यूजीसी नेट जून 2019 के जारी हुए विज्ञापित नियुक्तियों में निम्नलिखित विषयों में जैसे मनोविज्ञान, शिक्षा शास्त्र, संगीत, मैथिली, लोक प्रशासन, समाज कार्य, रक्षा शास्त्र, जनसंख्या अध्ययन, समाजशास्त्र जैसे तमाम महत्वपूर्ण विषयों में ओबीसी वर्ग का कट-आफ सामान्य वर्ग (आर्थिक रूप से गरीब सवर्ण) के कट-आफ से ज्यादा बनाई गयी है, आखिर क्यों? 
    सरदार सेना ने ज्ञापन में राज्यपाल महोदय से अनुरोध किया कि सरकार के संवैधानिक संस्थाओं द्वारा किये जा रहे आरक्षण व्यवस्था के उल्लंघन के कुप्रयासों को तत्काल रोका जाय तथा संशोधित रिजल्ट घोषित करके पिछड़ों को न्याय देने की तरफ ध्यान दिया जाय। अन्यथा की स्थिति में सरदार सेना सामाजिक संगठन के हजारों कार्यकर्ता 23 जुलाई के बाद सड़कों पर उतरकर आरक्षित वर्ग के न्याय हेतु आन्दोलन को बाध्य होंगे। आन्दोलन के दौरान प्रदेश में किसी भी प्रकार की हानि होगी तो उसकी सारी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश सरकार की होगी।

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