आप सभी अवगत हो कि केन्द्र व राज्य सरकार की पिछड़ा व दलित विरोधी नीतियों के खिलाफ सरदार सेना सामाजिक संगठन लगातार संघर्षरत है। आप सभी जानते है कि भारत में ओबीसी वर्ग की सम्पूर्ण आबादी लगभग 57 या 60 प्रतिशत से ज्यादा है जिसके बावजूद बड़े संघर्षों के बाद इस वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण ही प्राप्त हुआ। लेकिन योगी सरकार द्वारा हाल ही में पिछड़े वर्ग के 27 प्रतिशत आरक्षण को भी विभाजित करके पिछड़े वर्ग को आरक्षण विहीन करने एवं आपस में लड़ाने हेतु बड़ा भयानक कुचक्र रचा गया है। जबकि हमारे ही दलित भाईयों को आबादी के अनुसार शुरू से ही 22.5% आरक्षण प्रभावी रूप से लागू है। वहीं दूसरी तरफ बीते 09 जनवरी 2019 को मोदी सरकार द्वारा सवर्ण समाज हेतु जिनकी कुल आबादी लगभग 15% ही होने पर भी इन्हें10% आर्थिक आधार पर आरक्षण दे दिया गया जबकि सवर्ण समाज पहले से ही सामाजिक, शैक्षणिक व आर्थिक रूप से सम्पन्न है। अत: मोदी सरकार द्वारा आर्थिक आधार पर आरक्षण का फार्मूला पूर्णतया अनैतिक एवं असंवैधानिक है। ऐसा करके मोदी सरकार द्वारा संविधान में फेरबदल करने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है ऐसा करके मोदी ने देश के सम्पूर्ण पिछड़े समाज को और गहरे खाई में धकेलने का कार्य किया है।
अत: अब पिछड़े समाज के लोंगो से गुजारिश है कि हमें मिलकर 27 नहीं बल्कि 57% से ज्यादा अपने आरक्षण को बढ़ाने के लिए लड़ाई लड़नी होगी, नहीं तो हमारी आने वाली पीढ़ियां किसी भी संवैधानिक पदों पर स्थापित नहीं हो पायेगी और यदि हम इसी तरह हाथ पर हाथ धरे तमाशबीन बने रहे तो पुन: हम गुलामी की जंजीरों में जकड़ने को विवश होंगे। जिसके कारण निकट भविष्य में हमारी पीढ़ियां आत्महत्या करने पर मजबूर होंगी और हमें कदापि माफ नहीं करेगी। इसलिए आईये हम अपने बच्चों को अपने आबादी के अनुसार सरकारी,अर्द्धसरकारी अर्थात् संविदा जैसी निम्न से लेकर शीर्ष स्तर तक सम्पूर्ण नौकरियों तथा व्यवस्थाओं में स्थापित करने हेतु आजादी की दूसरी लड़ाई लड़कर अपने पीढ़ियों को संवैधानिक न्याय दिलाने का कार्य करें।
बताते चले कि भाजपा सरकार ने लगभग अपने पांच वर्षों के कार्यकाल में हमारे अधिकारों पर लगातार कुठाराघात किया है, जिसके कुछ अंश निम्नवत् दिये जा रहे हैं-
1. 27 जून 2018 को उ. प्र. परिवहन निगम में कुल 127 पदों पर परिचालकों की भर्ती हुई, जिसमें 100 पदों पर सवर्ण वर्ग तथा 27 पद पर दलित वर्ग के लिए आरक्षित किया गया जिसमें ओबीसी आरक्षण को पूरी तरह समाप्त कर दिया गया।
2. केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में विभागवार विखंडन कर नवीन रोस्टर प्रणाली लागू कर आरक्षण को पूर्ण रूप से निष्प्रभावी कर दिया गया।
3. केन्द्र सरकार के गलत नीतियों के कारण बीते वर्ष में ओबीसी के 9 हजार नीट में उत्तीर्ण बच्चों को मेडिकल में दाखिला लेने से रोक दिया गया।
4. बीते वर्ष में सिविल सर्विसेस में उत्तीर्ण 314 ओबीसी के बच्चों को क्रीमिलेयर लगाकर आईएएस अधिकारी बनने से रोक दिया गया।
5. सप्रीम कोर्ट के एक निर्णय के अनुसार केन्द्र सरकार ने असंवैधानिक तरीके से आरक्षित वर्गों के बच्चों को चाहे वह ओपेन कटेगरी के अनुसार टॉपर ही क्यों न रहा हो आगे बढ़ने से रोक दिया अर्थात् 85% आबादी वाले आरक्षित समाज को 49.5% के अन्दर सीमित करके 15% सवर्णों को 50.5% नौकरियों में कब्जा जमाने अर्थात् नंगा नाच करने की खुली छूट दे दिया।
6. बीते वर्ष गोरखपुर विश्वविद्यालय में विज्ञापित तमाम पदों पर 90 % से ज्यादा सवर्णों को स्थान दिया गया। इसी तरह देश भर के तमाम विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर, असिस्टेन्ट प्रोफेसर सहित तमाम पदों पर ओबीसी को जगह न देकर जातिवाद का नंगा नाच किया गया।
7. आंकड़ों के अनुसार केन्द्रीय मंत्रालयों में अवर सचिव/सचिव व निदेशक स्तर के 747 अफसरों में मात्र 17 अफसर ओबीसी समुदाय के हैं। इसी तरह हजारों उदाहरण है जहां ओबीसी वर्ग का प्रतिनिधित्व लगभग शून्य जैसा हो चुका है।
साथियों अब हम पिछड़े वर्ग को अपने आबादी के अनुसार सम्पूर्ण अधिकार दिलाने हेतु आजादी की दूसरी लड़ाई लड़नी पड़ेगी नहीं तो हमारी आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेगी। इसलिए आईये इस महाआंदोलन में सहभागी बनकर अपने आने वाली पीढ़ियों को सम्पूर्ण अधिकार दिलाने हेतु लड़ाई लड़े।